पचोर, जिला राजगढ़ मध्यप्रदेश के छोटे कस्बे पचोर में जन्मे जयेश कोली किसी फिल्मी बैकग्राउंड से नहीं थे, न बड़े शहरों के नेटवर्क थे, न पैसे, न रास्ते। बस एक कॉपी, कुछ अधूरे सपने, और एक ऐसा विश्वास जो बार-बार ठोकर खाने के बाद भी गिरा नहीं।
पचोर जैसे छोटे कस्बे से उठकर बड़े प्लेटफ़ॉर्म्स तक अपनी पहचान बनाने वाले स्टोरीटेलर और स्क्रीनराइटर जयेश कोली ने ये बात सच कर दिखाई।स्कूल के दिनों में ही जयेश जब कविताएँ और निबंध लिखते थे, तो उनके अध्यापक उन्हें बाकियों से अलग पहचान लेते थे। हिंदी और अंग्रेज़ी के टीचर्स ने उनकी कल्पनाशक्ति को दिशा दी। बारहवीं में लिखी उनकी कविता आज भी शिक्षक यशवंत विरमाल ने सहेजकर रखी है।
यशवंत विरमाल और जितेंद्र सिंह राठौड़ जैसे हिंदी शिक्षकों का उनके जीवन में विशेष योगदान रहा।सपना बड़ा और साधन कम थे, जयेश के पिता लोकल ड्राइवर और माँ गृहिणी। घर में केवल सपनों के लिए जगह थी, लेकिन साधनों की कमी हमेशा साथ रही।
ताने मिले, रोक-टोक आई, लेकिन न तो परिवार पीछे हटा, न जयेश। उन्होंने इंजीनियरिंग का रास्ता छोड़ा और अपनी असली पुकार—फिल्म और लेखन—को चुना।जयेश ने उनके लिए ड्रैगन एंड अगस्त्य’ नामक ऑडियो शो लिखा—जो कभी रिलीज़ नहीं हो पाया। पर यह असफलता एक ट्रेलर थी, कहानी नहीं..।
और फिर आया पहला सुपरहिट मोड़, एक बड़े ऑडियो प्लेटफ़ॉर्म के लिए जयेश ने ऐक्शन आर्यन लिखा। नतीजा? सिर्फ एक साल में 30 लाख से अधिक श्रोताओं ने इसे सुना और सराहा।साथ ही, मुंबई की इंडिपेंडेंट फीचर फिल्म ‘दीवार के उस पार’ के लिए जयेश ने एक गीत लिखा, जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया।
जो कई फिल्म फेस्टिवल्स तक पहुँची और इसी के साथ उनका नया परिचय बना—लेखक से लिरिसिस्ट तक।वर्तमान में वे कई माइक्रोड्रामा प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं, जो जल्द ही अलग-अलग ऑनलाइन टीवी प्लेटफ़ॉर्म्स पर रिलीज़ होंगे। पॉकेट एफएम के अलावा कई टीवी प्रोड्यूसर्स उनसे प्रोजेक्ट्स पर बातचीत कर रहे हैं।