राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 वर्ष पूर्ण होने पर यह वर्ष संघ शताब्दी वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है अतः विजयदशमी पर्व के अवसर पर दतिया नगर में बस्तीश: निम्न स्थानों पर एकत्रीकरण एवं पथ संचलन के कार्यक्रम हुए
जिनमें क्रमशः रामजी वाटिका में श्री नाथूराम जी तिवारी ( जिला सेवा प्रमुख ), कान्हा गार्डन में श्री राघवेंद्र जी त्रिपाठी (विभाग कार्यवाह), दुर्गेश्वरी मंदिर न्यू हाउसिंग बोर्ड झांसी रोड में श्री देवेंद्र जी (प्रांतीय अधिकारी), हाउसिंग बोर्ड पार्क बुंदेलखंड अस्पताल के पीछे श्री राजेश मोहन जी श्रीवास्तव (माननीय नगर संघचालक), पूर्व केंद्रीय विद्यालय राजघाट में श्री अविरल जी गुप्ता (सह जिला कार्यवाह), सरस्वती शिशु मंदिर बुंदेला नगर में श्री अजय जी मिश्रा (जिला बौद्धिक प्रमुख) एवं सरस्वती शिशु मंदिर भरतगढ़ पर श्री धनराज जी (विभाग प्रचारक मुरैना विभाग) का बौद्धिक हुआ।
जिसमें श्री धनराज जी ने संघ की 1925 से लेकर 2025 तक की यात्रा का विस्तार से वर्णन किया एवं संघ शताब्दी वर्ष में होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी दी उन्होंने बताया कि सातत्य से साधना, साधना से शक्ति , शक्ति से ही परिवर्तन संभव है….…
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सातत्य की साधना के 100 वर्ष पूर्ण हो गए हैं, उस शक्ति के परिणाम देश में हुए देश में हुए अनेक सकारात्मक परिवर्तनों के रूप में हम देख सकते हैं ,
वर्तमान समय में हमारा कर्तव्य इस अखण्ड ज्योति को प्रज्वलित रखते हुए समाज में फैले तमस को दूर करना है, इस हेतु इस पथ पर चलने वाले अनेक पथकों की आवश्यकता है, दीप से दीप जलाने की , व्यक्ति को समाज से जोड़ने की साधना हमको करना है , राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की यह यात्रा अहम से वयं की यात्रा है, मै से हम की यात्रा है , व्यष्टि से समष्टि की यात्रा है, एकोहम बहुस्यामी की यात्रा है,
बिंदु से विराट की यात्रा है,आत्म विस्मृति से आत्मबोध की यात्रा है , शून्य से शतक की यात्रा है, जय से विजय की यात्रा है,यह यात्रा मातृवत पर्दारेषु की यात्रा है,यह यात्रा धर्म की जय अधर्म के नाश प्राणियों सद्भावना की यात्रा है, और विश्व के कल्याण की यात्रा है, आइए हम सब इस यात्रा के पथिक बनकर अपने जीवन को एक ध्येय के लिए समर्पित करते हुए भारत माता को परम् वैभव के सिंहासन पर आसीन कर अपना जीवन सार्थक करें…
हम न रुकने चले है सूर्य के यदि पुत्र है तो
हम न हटने को चले है सरित की यदि प्रेरणा को
चरण अंगद ने रखा है आ उसे कोइ हटाए
दहकता ज्वालामुखी यह आ उसे कोइ बुझाए
मृत्यु की पी कर सुधा हम चल पडेंगे ले दुधारा ॥
राष्ट्र भक्ति ले हृदय में हो खड़ा यदि देश सारा
संकटों पर मात कर यह राष्ट् विजय हो हमारा ।।
बौद्धिक के पश्चात सभी बस्तियों से गणवेश धारी स्वयंसेवक हरदौल स्टेडियम पर एकत्रित हुए और वहाँ से घोष दल के साथ एक विशाल संचलन नगर के मुख्य मार्गो से निकाला गया रास्ते में अनेक स्थानों पर डीजे पर राष्ट्र भक्ति गीत बजाकर एवं पुष्प वर्षा कर संचलन का स्वागत किया गया।