शाहपुरा-राजेन्द्र खटीक। शाहपुरा-शाहपुरा स्थित केशव प्रन्यास स्मृति भवन में अखिल भारतीय साहित्य परिषद शाहपुरा इकाई की साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन किया गया।
गोष्ठी की अध्यक्षता श्री तेजपाल उपाध्याय और मुख्य अतिथि भँवर शर्मा ‘भड़ाका’ रहे।गोष्ठी की शुरुआत परिषद गीत ‘भारती की लोक मंगल साधना साकार हो’ गाकर डॉ. परमेश्वर कुमावत ‘परम’ ने की।भँवर शर्मा ‘भड़ाका’ ने ‘तकदीर लिखने वाले, तकदीर मेरी बदल दे, कांटों से भरा जीवन, तू फूलों से भर दे।’ गीत सुनाकर खूब तालियाँ बटोरी।
गीतकार बालकृष्ण जोशी ‘बीरा’ ने ‘दीपों का उत्सव सभी मनाओ, ज्योत से ज्योत जलाते जाओ और राजस्थानी व्यंग्य रचना ‘नवरां क नांको नाक म नकेल, भोळी जनता नसंक सूती नाक्याँ कान म तेल’ सुनाकर व्यर्थ की राजनीति करने वालों पर कड़ा प्रहार किया।
जय देव जोशी ने ‘अंधकार के राज में ज्योति बनी उम्मीद, एक दीप उस द्वार पर सोता जहाँ शहीद’ सुनाकर गोष्ठी को देशभक्ति के रंग में रंग दिया।
डॉ. कमलेश पराशर ने ‘दीप मन से जलाए तन चमक जाएगा, झूठ की इस लड़ी से क्या तम मिट जाएगा’ प्रश्नात्मक रचना सुनाकर मन में खोट रखने वालों पर तंज कसा। रामप्रसाद सेन ने ‘तुझे सूरज कहूँ या चंदा, तुझे दीप कहूँ या तारा’ गीत सुनाकर सभी का मन मोह लिया।
कैलाश जाड़ावत ने ‘जीवन में है शरारे, गुलशन बनी मीनारें’ और आध्यात्मिक रचना ‘मातृभूमि माँ हमारी जगत का आधार है, भार सहती भारती माँ ये ही पालनहार है।’ सुनाकर भगवान शब्द के पँचाक्षरों को पंचतत्वों से साम्य स्थापित कर सभी को अध्यात्म के रंग में रंग दिया।
रीता धोबी ने ‘आई दीवाली मेरे घर, लाई खुशियां मेरे घर, चीनी लाइटों का तुम करो बहिष्कार, पारम्परिक मिट्टी के दीये तुम लाओ, अपने घर में ऑपरेशन सिंदूर की रंगोली तुम बनाना, उसमें जीत के कोटि-कोटि दीये जलाना’ देशभक्ति रचना सुनाकर गोष्ठी को ऑपरेशन सिंदूर की विजय से जोड़ दिया।
डॉ. परमेश्वर कुमावत ‘परम’ ने पंच दीपोत्सव के सभी दिवसों पर ‘दीपोत्सव देश में मना रहे सब लोग, भारत माँ जगमग भई विश्व गुरु के योग’ दोहे सुनाकर वर्तमान परिस्थितियों में भारत के विश्व गुरु बनने की ओर संकेत किया।
ओम माली ‘अंगारा’ ने ‘वही दीप सार्थक जो अनभिलाषा, लुटाता रहे निज प्रकाश राष्ट्र-समाज को, नव-नव जागृति नव चेतना भरे जन-मन में, निज रक्त-तेल से सींचे जो राष्ट्र के काज को’ सुनाकर समर्पण के साथ बिना अभिलाषा के राष्ट्र के काम को करने का संदेश दिया।
रवींद्र जाड़ावत ने ‘दीप जले हर दीप जले, हर घर दीप जले दीवाली में, चेहरों पर मुस्कान खिले, नव उदित प्रेम खुशहाली में’ गीत सुनाकर गोष्ठी को ऊंचाइयां प्रदान की। अंत में परिषद के अध्यक्ष तेजपाल उपाध्याय ने ‘अवध में आया है खुशियों का ज्वार, चारों ओर उल्लास है सुख है अपार।’ कविता सुनाई।
उपाध्याय ने बताया कि दुराचारियों व दुष्टों का संहार कर चौदह वर्ष पश्चात राम के अयोध्या आगमन पर पूरा देश रोशनी से जगमग हो गया था।
उस समय से आज तक दिवाली सनातन रूप से मनाई जा रही है। गोष्ठी में प्रस्तुत रचनाओं की समीक्षा जयदेव जोशी ने की।