मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिला अंतर्गत बौद्ध समाज के समस्त संगठन के पदाधिकारीओ द्वारा आज एक ज्ञापन कलेक्टर के नाम सौपा गया।
जिसमें मुख्य मांग एससी /एसटी और ओबीसी वर्ग के गरीब छात्र-छात्राए हमेशा छात्रवृत्ति के सोहलत पर अपनी पढ़ाई जारी रखते है,
परन्तु सरकार की मोनो पॉलिसी के कारण यह छात्रवृत्ति अनुसूचित जाति वर्ग के छात्र-छात्राओं को दो भागों में विभाजित कर दी गई है।जिसमें मध्य प्रदेश शासन 40% देती है और केंद्र शासन 60% देती का आयोजन है। परंतु इस छात्रवृत्ति 2 से 3 वर्ष का विलंब लगने के कारण कॉलेज में परीक्षा में बैठने से रोका जा रहा है, क्योंकि समय पर कॉलेज की फीस नही भरने पर यह स्थिति निर्मित हो रही ।
जिसके कारण कई छात्र छात्राए बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़कर बेरोजगार होने के कारण नसे की गलत आदतों में लग जा रहे हैं। जिससेे देश का भविष्य अंधकार की ओर जा रहा है इसके जवाब दे स्थाई सरकार है।और स्कॉलरशिप को लेकर एक बड़े आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जा रही है। और उसका परिणाम सरकार को भुगतना पड़ेगा। और दूसरा मुद्दा अनुसूचित जाति बालिका छात्रावास को लेकर चल रहा है
1 अनुसूचित जाति के छात्रावास में अनुसूचित जाति की हि अधीक्षका हो। जो नियम मे है
2 छात्रावास में जितने भी पुरुष बाहरी आए थे उन पर एट्रोसिटी एक्ट के तहत कार्रवाई हो, जिससे भविष्य में कोई ऐसी हरकत ना करें,
3 इस प्रकरण की जांच करने में अनुसूचित जाति के अधिकारी भी हो,
4 पक्षपात वाली कार्रवाई बिल्कुलभी नहि होनि चाहिए,क्योंकि इसके पहले अनुसूचित जाति के कई अधीक्षकों पर बिना नोटिस के प्रभाव से तत्काल करवाईवाई की गई है।
फिर इस प्रकरण में सहानुभूति क्यों दिखाई जा रही है । कलेक्टर महोदय से चर्चा करने के बाद में उन्होंने आश्वासन दिया है कि कॉलेजो को निर्देशित किया जाएगा स्कॉलरशिप आने तक किसी को हो फीस के लिए परीक्षा में बैठने से मना नही किया जाए।
अपर कलेक्टर पल्लवीजी मैडम दौरा आश्वासन दिया गया की पुनः सिमा करोडा को अधिषिका नहीं बनाया जाएगा। इस दरमियान उपस्थित रहे विजय मेढे,भारती सोनवाने,महेन्द्र इंगले,विनोद मोरे, आनंद बौद्ध,एन् आर गजभिए,अशोक गवई,शशिकांत लहासे,विजय उमाले,संतोस मोरे, विजय साबले,रमजान तड़वी, मनोज बनसोडे, बिरजु बोदड़े,आदि