पचोर तहसील में करणी सेना का आमरण अनशन, किसानों ने रखीं 6 सूत्रीय मांगें, कहा ज़ब तक मरेंगे नहीं यही बैठे रहेंगे
अंधेर नगरी, वेब पोर्टल किसानों का आमरण अनशन जारी चार दिनों से बैठे भूख हड़ताल पर पचोर/करणी सेना के नेतृत्व में गुरुवार सुबह से पचोर तहसील परिसर किसानों के आक्रोश का गवाह बना।
करणी सेना के पदाधिकारी वीरेंद्रसिंह रेठानी के नेतृत्व में 30 गांवों से आए करीब 40 युवा सुबह 10 बजे से आमरण अनशन पर बैठ गए। किसानों ने चेतावनी दी है कि उनकी मांगे पूरी नहीं होतीं है तो ज़ब तक मरेंगे नहीं हम यहां अनशन पर बैठे रहेंगे।
किसानों की छह सूत्रीय मांगों में सबसे प्रमुख है— वर्ष 2023-24 की ओलावृष्टि से खराब हुई गेहूं फसल का उचित बीमा भुगतान। उनका कहना है कि कई किसानों को मुआवजा मात्र 1000 से 1200 रुपए ही मिला, जो उनके नुकसान के सामने नगण्य है। दूसरी बड़ी मांग वर्तमान सीजन की सोयाबीन फसल का भाव 6000 रुपए प्रति क्विंटल तय करने की है, ताकि किसानों को मेहनत का उचित मूल्य मिल सके।
इसके साथ ही किसानों ने सेटेलाइट सर्वे को पूरी तरह बंद करने और फसल बीमा कराने का अधिकार किसानों को उनकी मर्जी से देने की बात रखी। उन्होंने प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना को “भिखारी योजना” करार दिया और कहा कि 1 हजार रुपए की यह राशि बंद करके किसानों को प्रति बीघा 1 हजार रुपए दिए जाएं।
किसानों का कहना है कि यह मदद नीलगायों (रोजड़ा) से फसल बचाने में उपयोगी हो सकेगी।किसानों का आरोप है कि जब वे अपनी समस्याएं उठाते हैं तो उन्हें राजनीतिक चश्मे से देखा जाता है और उन पर कांग्रेस समर्थक होने का ठप्पा लगा दिया जाता है।
जबकि उनका कहना है कि यह आंदोलन केवल किसानों के हक के लिए है, राजनीति से इसका कोई संबंध नहीं।अनशन स्थल पर अलूणी, रेठानी, कुलडासा, पाड़ल्या आंजना, कोड़ियाखेड़ी, पटाड़िया धाकड़, लाटाहेड़ी, टीकोद, आसारेटा, जबरदी, बुढ़नपुर, पाड़ल्या दान, बमोरी, बारवा, सरसखेड़ी, बड़बेली, तलेन, इकलेरा, पड़ाना और पचोर क्षेत्र से हजारों किसान पहुंचे और अनशनकारियों का समर्थन किया।
किसानों ने कहा कि यदि प्रशासन ने उनकी मांगों पर शीघ्र निर्णय नहीं लिया तो आंदोलन और उग्र किया जाएगा।