प्रकृति और संस्कृति संग-सद्भावना की दिवाली
नन्हे पर्यावरण प्रहरी बोले ‘पटाखे नहीं, प्रकृति जलाएँगे’
शाहपुरा-राजेन्द्र खटीक शाहपुरा-ग्रीन लिटिल बेबी की पहल से बच्चों ने मनाई पर्यावरण-मित्र दिवाली, दिया देश को अनोखा संदेशदिवाली के इस पावन पर्व पर ग्रीन लिटिल बेबी श्रेया कुमावत की ओर से आयोजित
“प्रकृति और संस्कृति संग — सद्भावना की दिवाली”
कार्यक्रम ने समाज को एक नई दिशा दी।इस अनोखे आयोजन में नन्हे बच्चों ने न केवल पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया, नन्हे हाथों ने दी ‘हरित लक्ष्मी पूजन’ की मिसालकार्यक्रम में प्रत्येक बच्चे को अपने औषधिये गार्डन में लगे गन्ने दिया गया — जो धरती की समृद्धि और हरियाली का प्रतीक है।
बच्चों ने गन्ना हाथ में लेकर एक स्वर में ‘ग्रीन शपथ’ ली —“हम पटाखे नहीं जलाएँगे, क्योंकि उनका धुआँ हमारे आसमान के पंछियों की साँसें रोक देता है।
हम दीयों से नहीं, पौधों से रोशनी फैलाएँगे। ”इस संकल्प ने वहाँ मौजूद सभी दर्शकों को भावविभोर कर दिया। बच्चों की मासूम आवाज़ में उठी यह प्रतिज्ञा प्रकृति और संस्कृति के संगम का जीवंत उदाहरण बन गई।
मिट्टी के दीयों और औषधीय पौधों से सजी हरित दिवालीबच्चों ने इस वर्ष पटाखों की जगह मिट्टी के दीपक, औषधीय पौधे और पुनः उपयोग योग्य सजावट से दिवाली मनाई।
उन्होंने अपने हाथों से बने पर्यावरण-मित्र दीपक और ग्रीन गार्डन डेकोरेशन के माध्यम से यह बताया कि त्यौहार तभी पूर्ण होता है जब उसमें धरती माता की मुस्कान शामिल हो।
एक नई दिशा — संस्कृति के साथ पर्यावरण की रक्षा
इस पहल ने यह साबित किया कि नन्हे बच्चे भी समाज को बड़ा संदेश दे सकते हैं। उनकी यह पहल न केवल प्रदूषण मुक्त दिवाली का संदेश थी, बल्कि संवेदना, समृद्धि और संस्कार की सच्ची पहचान भी बनी।