शिक्षक बच्चों को सिखाए कि हम अपने माता-पिता, बड़ों और गुरूओं का सम्मान करें “शिक्षक समाज की आत्मा होते हैं।
शिक्षा की गुणवत्ता और विद्यार्थियों का भविष्य पूरी तरह शिक्षकों पर निर्भर करता है। भारतीय संस्कृति में शिक्षक को सदैव सर्वोच्च स्थान प्राप्त रहा है। शिक्षक ही समाज का दर्पण है। जो नई पीढ़ी को शिक्षा, संस्कार और मार्गदर्शन देकर राष्ट्र निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
उक्त बात जिलाधीश स्वपनिल वानखडे़ ने मध्यप्रदेश राजपत्रित अधिकारी संघ जिला शाखा दतिया के तत्वावधान में वृन्दावन धाम में 125 शिक्षकों का सम्मान करते हुए कही। सर्वप्रथम माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलित व पूर्व राष्ट्रपति एवं महान दार्शनिक डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के चित्र पर माल्यार्पण किया। इसके बाद संघ के अध्यक्ष अशोक शुक्ला ने स्वागत भाषण तो संरक्षक पूर्व प्राचार्य कमलकांत शर्मा ने अतिथियों का स्वागत किया।
मंचासीन अतिथियों में जिला शिक्षा अधिकारी यू.एन.मिश्रा, प्राचार्य पी.जी.काॅलेज जय श्री त्रिवेद्वी, पूर्व प्राचार्य महाविद्यालय डी.आर.राहुल कार्यक्रम का संचालन प्राध्यापक डाॅ.अरविन्द्र यादव ने किया। अपने उद्बोधन में जिलाधीश ने आगे कहा कि यदि हम 1 सौ बार असफल होते है तो निश्चित रूप से एक बार सफल होंगे। मेरे पूज्य पिताजी भी शिक्षक रहे है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की अहम भूमिका होती है क्योंकि शिक्षक राष्ट्र की संस्कृति के माली होते है। वे जड़ों में संस्कार का खाद देते हैं और उन्हें सींच सींच कर महाप्राण शक्तियां बनाते है। उन्होंने कहा कि शिक्षक एक मोमबत्ती की तरह होता है जो स्वयं जलकर दूसरों को प्रकाशित करती है। में शिक्षकों को सम्मानित करते हुए अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ।
कार्यक्रम में सेवानिवृत्त केनाल डिप्टी कलेक्टर सिचाई विभाग सनत पुरोहित, डाईट प्राचार्य, करन सिंह,सियाराम शर्मा, मनोज पाण्डेय, आर.एस.सेंगर, कुंज बिहारी गोस्वामी, बलराम शर्मा, पूरनचन्द्र शर्मा, राधाचरण पाठक, मनीराम शर्मा, मुकेश शर्मा, शैलेन्द्र खरे, माधुरी गुप्ता, श्रीमती कल्पना तिवारी, अखिलेश राजपूत, आशा यादव, बी.के पटवा, सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।