अंधेर नगरी, वेब पोर्टल पचोर/भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक भैया दूज दिवाली का पांचवां त्योहार जो ऋग्वेद से निकला है, आज पचोर नगर में भाई बहन का प्रतिक भाई दूज का त्यौहार नगर में धूमधाम से मनाया गया ।
भाई दूज, जिसे यम द्वितीया भी कहा जाता है, दीपावली के पांचवें और अंतिम दिन मनाया जाता है. यह त्योहार भाई-बहन के प्रेम, त्याग और समर्पण का प्रतीक है, जिसमें भाई बहन की रक्षा का वचन देता है.
ऋग्वेद और पुराणों में इस पर्व का उल्लेख मिलता है, जो इसे दीपावली का सबसे प्राचीन और प्रामाणिक पर्व बनाता है।भाई दूज को यम द्वितीया के नाम से जाना जाता है, जिसकी शुरुआत ऋग्वेद में वर्णित एक घटनाक्रम से होती है।
भाई दूज को यम द्वितीया के नाम से जाना जाता है, जिसकी शुरुआत ऋग्वेद में वर्णित एक घटनाक्रम से होती है।
दीपावली की पर्व शृंखला में पांचवा और आखिर दिन भाई दूज के नाम से मनाया जाता है. असल में इसका शास्त्रीय नाम यम द्वितीया है. द्वितीया की यह तिथि भी यम को ही समर्पित है.
पांच पर्वों में भाई दूज अकेला ऐसा त्योहार है जिसका स्पष्ट जिक्र वेदों में आता है और इस तरह यह दीपावली के दौरान मनाया जाने वाला सबसे प्राचीन और सबसे ज्यादा ऑथेंटिक (प्रामाणिक) पर्व है,
जो अपने असली स्वरूप और असली कारण के साथ है. इसमें न समय के साथ कोई बदलाव आया है और न ही इसका उद्देश्य बदला है. भाई-बहन के बीच प्रेम-त्याग और समर्पण का यही असली त्योहार है,
जहां भाई अपनी बहन को उसके शील की रक्षा का वचन देता है. बहनें भाई को आमंत्रित करती हैं, भाई को तिलक करके उनके मंगल जीवन की कामना करती हैं और उन्हें भोजन कराती हैं।