बंटी गर्ग भिंड जिला व्यूरो
रघु ठाकुर का सरकार पर तीखा हमला – “बिचौलियों की सरकार से और क्या उम्मीद की जाए?
न्यूनतम समर्थन मूल्य तय हो, बाजार मूल्य पर लगे अधिकतम सीमा : लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी की मांग
भोपाल। मध्य प्रदेश के मंदसौर, नीमच, उज्जैन और आसपास के जिलों में प्याज और लहसुन के दाम बुरी तरह गिर गए हैं। किसानों को प्याज के 2–3 रुपये किलो और लहसुन के 30 रुपये किलो के भाव मिल रहे हैं, जिससे किसान खुद को ठगा और मजबूर महसूस कर रहे हैं।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के संरक्षक रघु ठाकुर ने सरकार पर सीधा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति सरकारी लापरवाही और बिचौलियों के दबदबे का परिणाम है। कि “यह भाव गिरने का खेल नहीं, किसानों की मेहनत को लूटने की स्क्रिप्ट है – और इसे बिचौलिए हर साल दोहराते हैं।”
*रघु ठाकुर, संरक्षक, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टीबारिश ने बर्बाद की फसल, सरकार ने छोड़ा किसान को बाजार के हवाले”
रघु ठाकुर ने कहा कि हाल ही में हुई लगातार बारिश के कारण किसानों को प्याज और लहसुन की फसल समय पर मंडी पहुंचानी पड़ी। मजबूरी में किसान बेहद कम दामों पर फसल बेच रहे हैं,
जबकि यही फसल कुछ हफ्तों बाद बाजार में प्याज 60 और लहसुन 100 रुपये किलो तक बिकेगी।“बिचौलिए मंडी में सस्ती दरों पर खरीद कर बाद में मनमाने भावों पर बेचते हैं। सरकार यह सब जानती है, लेकिन मौन है क्योंकि यह बिचौलियों की ही सरकार है।” – रघु ठाकुर
पार्टी की मांग: न्यूनतम और अधिकतम मूल्य सीमा तय करे सरकार
लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी ने मध्य प्रदेश सरकार से मांग की है कि प्याज का न्यूनतम समर्थन मूल्य ₹20 प्रति किलो और लहसुन का ₹50–₹60 प्रति किलो तय किया जाए।
इसके साथ ही बाजार में इन फसलों के अधिकतम विक्रय मूल्य की सीमा भी तय की जाए प्याज अधिकतम 30 रुपए प्रति किलो से ऊपर न बिके और लहसुन अधिकतम 75 रुपए प्रति किलो से अधिक न बिके
ठाकुर ने कहा कि “किसानों के लिए सिर्फ एमएसपी काफी नहीं, बाजार पर भी लगाम जरूरी है।रायसेन में खरीदी के बाद भी भुगतान नहीं, किसान ने की आत्महत्या की कोशिश-: रघु ठाकुर ने रायसेन जिले का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां सरकार ने मूंग की खरीदी तो की, लेकिन किसानों को भुगतान नहीं मिला।
इससे तंग आकर एक किसान ने आत्महत्या की कोशिश की। ठाकुर ने इसे शर्मनाक और संवेदनहीनता की पराकाष्ठा बताया। “फसल की खरीद हो जाए और भुगतान न हो, तो सरकार के पास किसानों की बात करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं बचता।” – रघु ठाकुर विश्लेषण:
कृषि उपज के न्यूनतम मूल्य की गारंटी के बिना किसान खुला शिकार बने रहते हैं।
बिचौलियों की जमाखोरी और सरकारी उदासीनता ने देश में कृषि संकट को स्थायी बना दिया है।रघु ठाकुर की मांग एक नई बहस को जन्म देती है – क्या केवल एमएसपी पर्याप्त है, या बाजार पर भी नियम लागू किए जाने चाहिए?